फूल की तरह ही, मानव-आत्मा भी अचेतन रूप से सूर्य की किरणों का पान करती रहती है और शाश्वत रूप से उसकी, उसके प्रकाश की कामना करती रहती है। जब कोई बुराई प्रकाश को उसके पास तक पहुंचने से रोक देती है तो वह मुर्झा और सूख जाती है। मानवजाति के लिए अधिक सुन्दर भविष्य का निर्माण करने से सम्बन्धित हमारी प्रेरणा और निष्ठा का आधार प्रत्येक मानव आत्मा द्वारा प्रकाश प्राप्त करने की यही आन्तरिक चेष्टा है; और, इसलिए, अपने पास निराशा को कभी नहीं हमें फटकने देना चाहिए। मानवजाति की सबसे बड़ी बुराई आज पाखण्ड है: शब्दों में प्रेम की बात करना, किन्तु व्यवहार में --- जीवन के लिए, तथाकथित ''सुख'' की प्राप्ति के लिए, पदोन्नति हासिल करने के लिए एक निर्मम संघर्ष करना...

सुंदर पोस्ट!
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